Ravi sharma

Apr 09 2024, 13:33

इंडिया गठबंधन के दल अपना वजूद बचाने में लगे संदर्भ : 2024 में विपक्ष विहीन लोकसभा की उम्मीद
2024 लोकसभा चुनाव की रणभेरी बज चुकी है। वहीं दूसरी ओर विपक्षी दलों के नेता करीब 10 साल से ( 2014 से 2024 ) सिर्फ और सिर्फ मोदी विरोध में ही लगे रहे। वहीं इतना तो इंडिया गठबंधन के नेता भी समझ चुके हैं कि 2024 में भी मोदी को सत्ता से बेदखल करना नामुमकिन है । तभी तो एक सभा में ''आप" प्रमुख अरविंद केजरीवाल ने कहा था कि  2024 में तो नहीं लेकिन 2029 में मोदी को हम जरूर हरायेंगे।
इंडिया गठबंधन के हर घटक दल की अपनी - अपनी और अलग-अलग मजबूरियां हैं और वे सभी उसी में उलझे हुए हैं । 19 अप्रैल को पहले चरण की वोटिंग होनी है। विपक्ष शायद इसी के आधार पर आगे की रणनीति बनायेगा । दूसरी ओर जनता जब मतदान के लिए लाइन में लगी होगी तो उसके सामने सिर्फ एक चेहरा मोदी ही दिखायी देगा । वहीं इंडिया गठबंधन अब तक कोई चेहरा ही  तय नहीं कर पाया है । वह जनता को कैसे यकीन दिलायेगा कि मोदी का कोई विकल्प भी उसके पास है । आप , राजद, टीएमसी , सपा , उद्धव ठाकरे की शिवसेना और शरद पवार की एनसीपी सभी आंतरिक कलह से जूझ रही हैं।
कांग्रेस अपने अस्तित्व को लेकर चिंतित है और अपनी आंतरिक एकजुटता को बचाने के लिए जद्दोजहद कर रही है। वहीं एनडीए ताल ठोक कर कह रहा है कि " अबकी बार 400 पार" ,  वहीं इंडिया गठबंधन यह तय ही नहीं कर पाया है कि वह कितनी सीटें जीतने में सफल होगा।
और अंत में आज तीन युवाओं ( राहुल, अखिलेश और तेजस्वी ) का भविष्य 2024 का लोकसभा चुनाव तय करेगा। अगर 2019 वाला प्रदर्शन इन तीनों का रहा तो अपने-अपने राज्य में सत्ता में आने का इनका सपना " मुंगेरीलाल के हसीन सपने " के समान साबित होगा।

Ravi sharma

Apr 01 2024, 13:05

सहानुभूति वोट की उम्मीद कर रहे केजरीवाल संदर्भ : 15 अप्रैल तक न्यायिक हिरासत में
अब 15 अप्रैल तक तिहाड़ जेल में रहेंगे केजरीवाल। कोर्ट में उनके वकील ने ईडी की दलीलों का कोई विरोध नहीं किया। दूसरी ओर ईडी की पूछताछ में भी केजरीवाल सहयोग नहीं कर रहे हैं। वहीं उन्होंने अभी तक मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा भी नहीं दिया है।
आज उनकी दिली तमन्ना भी पूरी हो गयी। क्योंकि उन्होंने ही एक बार कहा था कि अगर मैंने भी चोरी की तो मुझे भी जेल जाना होगा। शराब घोटाले में आप सरकार के तीन - चार मंत्री भी अभी तिहाड़ जेल में बंद हैं।
वहीं दूसरी ओर केजरीवाल को तिहाड़ जेल जाने के कोर्ट के आदेश के बाद रामायण की याद आयी है। इससे पहले इंडी गठबंधन में शामिल दलों के नेताओं के रामचरित मानस के बारे में की गयी अमर्यादित टिप्पणी पर उनके मुंह से एक शब्द भी नहीं निकला था। अब वे जेल में बैठ कर अपने सहयोगियों को रामायण पढ़ कर सुनायेंगे। जेल भेजे जाने पर केजरीवाल ने कोर्ट से  तीन किताबें 'रामायण', 'गीता' और 'हाऊ पीएम डिसाइड' ले जाने की इजाजत मांगी है।
केजरीवाल जानते हैं कि जनता कान की कच्ची होती है, इसलिए वे अपनी गिरफ्तारी का सारा दोष केंद्र सरकार पर डाल कर सहानुभूति वोट प्राप्त करना चाहते हैं।
ईडी को केजरीवाल ने शराब घोटाले में आप प्रवक्ता आतिशी का भी नाम लिया है। इससे लगता है कि उनसे भी ईडी पूछताछ कर सकती है।
और अंत में चेले तो पहले से ही जेल में हैं, अब स्वामी जी ( केजरीवाल) रामायण, गीता आदि लेकर तिहाड़ जेल जा रहे हैं। अब तिहाड़ में उनका प्रवचन होगा। खूब जमेगी जब मिल बैठेंगे चार यार।

Ravi sharma

Mar 31 2024, 17:33

दिल्ली में भ्रष्टाचारियों का शक्ति प्रदर्शन संदर्भ : लोकसभा चुनाव की चिंता नहीं, केजरीवाल की गिरफ्तारी रही मुख्य मुद्दा
आज से दस बारह वर्ष पहले इसी रामलीला मैदान में अन्ना हजारे के आंदोलन में अरविंद केजरीवाल ने यूपीए के भ्रष्टाचार के विरोध में खूब माहौल बनाया था। उसी मैदान में भ्रष्टाचार के आरोप में जेल में बंद केजरीवाल की गिरफ्तारी के विरोध में वही 'कांग्रेस' 'आप' के साथ मंच साझा कर रही है। यह बड़ी विचित्र बात है। इंडी गठबंधन की यह लोकतंत्र बचाओ रैली भ्रष्टाचारियों को बचाओ रैली में परिवर्तित हो गयी।
दिल्ली के रामलीला मैदान में रविवार को आयोजित इंडी गठबंधन की लोकतंत्र बचाओ रैली मफलर मैन अरविंद केजरीवाल की शराब घोटाले में की गयी गिरफ्तारी के विरोध में 'आप' और कांग्रेस की ही रैली मानी जायेगी। रैली में दिल्ली, पंजाब और हरियाणा के ही कार्यकर्ता ही ज्यादा दिखे। रैली को गठबंधन के नेता अवश्य संबोधित करेंगे, लेकिन मुख्य फोकस केजरीवाल की गिरफ्तारी पर ही होगा।
एक तरफ इंडी गठबंधन अपनी शक्ति प्रदर्शित करने के लिए रैली पर रैली कर रहा है, मगर उसका बिखराव रुक नहीं रहा है। दूसरी ओर यूपी में 'अपना दल'
की नेता पल्लवी पटेल ने गठबंधन को अलविदा कह औवेसी के साथ तीसरे मोर्चे का गठन कर लिया। इससे अखिलेश यादव सहित विपक्षी दलों की मुश्किलें और बढ़ सकती हैं। एनडीए का रास्ता साफ होता जा रहा है।
दूसरी ओर एक तरह से यह कहा जा सकता है कि इंडी गठबंधन में शामिल सारे दलों के प्रमुखों पर भ्रष्टाचार का कोई न कोई मामला अवश्य चल रहा है और वे जमानत पर बाहर हैं। रैली में शामिल तमाम नेताओं के संबोधन में केजरीवाल की गिरफ्तारी ही मुख्य बात रही। उनकी गिरफ्तारी को प्रजातंत्र पर हमला बताया।
चोर - चोर मौसेरे भाई वाली कहावत आज चरितार्थ हो रही है। चोरी और सीनाजोरी। सारे भ्रष्टाचारी आज एकजुट होकर गठबंधन बना कर चुनाव लड़ रहे हैं। ये कितने सफल होंगे ये तो चार जून को देश को मालूम हो ही जायेगा।
और अंत में इंडी गठबंधन की सारी की सारी कवायद एनडीए का ही रास्ता साफ करती नजर आ रही है। कांग्रेस के युवराज को लोकसभा चुनाव क्रिकेट मैच के समान लग रहा है। आज अलीबाबा रूपी इडी और सीबीआई ने भ्रष्टाचारियों के जमा किये गये खजाने को जनता के सामने उजागर कर दिया है।

Ravi sharma

Mar 30 2024, 22:52

सिर्फ ऊपरी एकता दिखाने का प्रयास संदर्भ : इंडी गठबंधन की होने वाली दिल्ली की रैली
अरविंद केजरीवाल बहुत सोच समझ कर ही इंडी के द्वारा जारी समन की अनदेखी कर रहे थे। वे नौवें समन का इंतजार कर रहे थे। वे जानते थे कि तब तक लोकसभा चुनाव की अधिसूचना जारी हो जायेगी और वे इसका फायदा अपनी गिरफ्तारी  के बाद उठाने का प्रयास करेंगे।
मालूम हो कि ये वही रामलीला मैदान है जहां अन्ना हजारे के आंदोलन के दौरान इंडी गठबंधन में शामिल मफलर मैन अरविंद केजरीवाल ने भ्रष्टाचार के खिलाफ खूब जोर शोर से नारे लगाये थे और आवाज बुलंद की थी, आज वे ही शराब घोटाले के आरोप में इंडी की हिरासत में हैं।
अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी के विरोध में आप और कांग्रेस ने उसी रामलीला मैदान में रविवार को भ्रष्टाचार को छिपाने के लिए इंडी गठबंधन की रैली आयोजित की है। गठबंधन की इस रैली का मकसद सिर्फ ऊपरी एकता दिखाने का प्रयास करना ही लगता है। जिस गठबंधन में सीटों की शेयरिंग में आज तक माथापच्ची हो रही है, वह रैली कर क्या दिखाना चाहता है।
यह बड़ी विचित्र बात है कि रविवार को दिल्ली में इंडी गठबंधन की होने वाली रैली में जितने भी दल शामिल हैं, करीब करीब सबके प्रमुख किसी न किसी मामले में जमानत पर हैं।
इस रैली का भी वही नतीजा निकलेगा, जैसा पिछली कई बैठकों में निकला था।

Ravi sharma

Mar 29 2024, 13:22

कांग्रेस की चुप्पी कहीं आत्म समर्पण तो नहीं संदर्भ : बिहार में कांग्रेस को मिलीं नौ सीटें
यह राजनीति है साहब, जहां 5 साल तक एक- दूसरे को पानी पी -पीकर कोसने वाले , एक -दूसरे की बखिया उघेड़ने वाले और न जाने क्या-क्या कहने वाले दल चुनाव आने पर अपने-अपने स्वार्थ वश एकत्रित होकर गठबंधन बना लेते हैं ।
गठबंधन तो बन जाता है लेकिन जब सीटों के बंटवारे की बात आती है तो सभी ज्यादा से ज्यादा सीटें चाहते हैं । अपने-अपने प्रदेशों में मजबूत क्षेत्रीय दल अपना जनाधार खोना नहीं चाहते। इसलिए सीटों के बंटवारे पर आपसी सहमति बनाने में ही काफी माथापच्ची होती है ।
ठीक यही स्थिति आज 2024 के लोकसभा चुनाव में दिख रही है। बेमन से ही सही महा गठबंधन तो बन गया पर भानुमती का कुनबा कब तक इकट्ठा रहता, सो बिखराव शुरू हुआ । गठबंधन के सूत्रधार ही बीच भंवर में महागठबंधन रूपी नाव को छोड़कर एनडीए के जहाज पर सवार हो गये। फिर तो झड़ी ही लग गयी। आप , तृणमूल कांग्रेस , सपा आदि पार्टियों ने भी गठबंधन से अलग राह पकड़ ली। 
वहीं विलुप्त होने के कगार पर पहुंच रही कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी और अपनी आधी उम्र गुजार देने के बाद भी युवा राहुल गांधी लगता है कांग्रेस का बोरिया बिस्तर समेटकर इटली में शांतिपूर्ण जीवन जीना चाहते हैं। कांग्रेस की चुप्पी उसके आत्म समर्पण को ही दरसा रही है ।
थोड़ी बहुत उछल कूद राजद मचा रहा है। पूर्णिया से टिकट मिलने की शर्त पर अपनी पार्टी जाप का कांग्रेस में विलय कर पप्पू यादव निश्चित हो गये थे । मगर उनके साथ राजद प्रमुख ने गेम खेल दिया । लालू प्रसाद ने पप्पू यादव से राजद में अपनी पार्टी जाप का विलय करने पर मधेपुरा से टिकट देने की पेशकश की थी। इस पर पप्पू यादव ने कहा कि सोचेंगे, मगर दूसरे ही दिन कांग्रेस से मिल गये।
इसके बाद लालू प्रसाद ने जदयू  से टिकट नहीं मिलने पर राजद में शामिल हुईं बीमा भारती को सिंबल देकर पूर्णिया से अपना प्रत्याशी घोषित कर दिया। पप्पू यादव से नाराज लालू प्रसाद की इस गुगली से परेशान पप्पू बैकफुट पर आ गये और इमोशनल कार्ड खेल रहे हैं।
करीब -करीब हर प्रदेश में जहां क्षेत्रीय दल मजबूत हैं , वे कांग्रेस को ज्यादा से ज्यादा सीटें देना नहीं चाहते। इसलिए इंड़ी गठबंधन में शामिल कांग्रेस को अपना अस्तित्व बनाये रखने के लिए मजबूरीवश राजद से समझौता करना पड़ा है। यह भी कह सकते हैं कि लालू प्रसाद ने कांग्रेस को उसकी हैसियत बता दी है।
और अंत में सभी पार्टियां चुनाव लड़ तो रही हैं मगर सभी की छठी इंद्री उनको यह आभास करा रही है कि कहीं न कहीं मामला गड़बड़ है।

Ravi sharma

Mar 28 2024, 16:21

राष्ट्रीय पार्टियों को आंखें दिखा रही क्षेत्रीय पार्टियां संदर्भ : पूर्णिया की सीट पर राजद हावी, पप्पू का सपना टूटा
2024 लोकसभा चुनाव का बिगुल बज चुका है । प्रथम चरण में बिहार की चार सीटों के लिए नामांकन का आज जहां अंतिम दिन है , वहीं दूसरे चरण के लिए गुरुवार को ही अधिसूचना जारी होते ही नामांकन की भी प्रक्रिया शुरू हो जायेगी।
वहीं दूसरी ओर सीटों की शेयरिंग पर सहमति बने बिना राजद प्रमुख लालू प्रसाद द्वारा चुनाव सिंबल बांटने से गठबंधन में शामिल घटक दल खासकर कांग्रेस और राजद के बीच तकरार बढ़ सकती है ।
राजद पहले कांग्रेस को मात्र 6  सीटें देने को तैयार था । मगर इंडी गठबंधन की पटना की महा रैली में लालू प्रसाद द्वारा जोश में होश खोने और प्रधानमंत्री मोदी पर की गयी पारिवारिक टिप्पणी का उल्टा असर होता देख लालू कांग्रेस को 8 सीटें देने पर सहमत हो गये लगते हैं , मगर कांग्रेस कम से कम 11 सीटें चाहती है। 
वहीं पूर्णिया सीट मिलने की उम्मीद में पप्पू यादव ने अपनी पार्टी का ही कांग्रेस में विलय कर दिया । मगर इससे पहले ही लालू प्रसाद ने पप्पू यादव के साथ खेला कर दिया । उन्होंने बीमा भारती, जो जदयू से टिकट कटने से नाराज थीं,  को राजद का सिंबल देकर उन्हें पूर्णिया से ही अपना प्रत्याशी घोषित कर दिया ।
वहीं अपने अस्तित्व को बचाने की लड़ाई लड़ रही कांग्रेस के लिए महा गठबंधन में बने रहना उसकी मजबूरी है। सभी दल उसे आईना ही दिखा रहे हैं। यह हास्यास्पद बात ही लगती है कि 2019 के लोकसभा चुनाव में जीरो पर आउट होने वाले दल राजद के सामने कांग्रेस और वाम दल उसकी  ही गणेश परिक्रमा कर रहे हैं। वहीं लालू बिना सहमति के अपने उम्मीदवारों को सिंबल बांट रहे हैं।
और अंत में पहले देश में एक ही पप्पू से निहाल हो रहा था, अब एक और पप्पू कांग्रेस में शामिल हो गये । कांग्रेस का अब भगवान ही मालिक है।

Ravi sharma

Mar 26 2024, 16:41

हाट केक बनी पूर्णिया की सीट संदर्भ : इंडी गठबंधन की एकता संदेह के घेरे में
एक एक तरफ लोकसभा चुनाव, जिसका पहला चरण 19 अप्रैल को शुरू हो रहा है और इसके लिए नॉमिनेशन भी चल रहे हैं मगर इंडी गठबंधन में सीटों के बंटवारे की गुत्थी सुलझने का नाम नहीं ले रही है । पूर्णिया , सीवान सहित कुछ सीटों पर मामला फंसा हुआ है।  ये सीटें ऐसी हैं जिस पर राजद और कांग्रेस दोनों ही दावा कर रहे हैं। यादव बहुल होने के कारण पूर्णिया को लालू प्रसाद हाथ से निकलने देना नहीं चाहते।
राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद पप्पू यादव को इंडी गठबंधन में शामिल करना चाहते थे मगर पप्पू यादव ने पूर्णिया से टिकट मिलने की उम्मीद में अपनी पार्टी का विलय कांग्रेस में कर दिया । और कहा कि दुनिया छोड़ देंगे मगर पूर्णिया नहीं छोड़ेंगे । वहीं दूसरी ओर जदयू से टिकट नहीं मिलने पर राजद में शामिल होने वाली बीमा भारती भी पूर्णिया से ही चुनाव लड़ने का दावा ठोक रही हैं। पूर्णिया सीट पर अब राजद और कांग्रेस आमने-सामने आ गये हैं।
इंडी  गठबंधन में आपसी कलह और बढ़ती जा रही है जो  कम होने का नाम नहीं ले रही है। एक तरफ राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद  गठबंधन में सब कुछ ठीक हो जाने का दावा कर रहे हैं वहीं दूसरी ओर कांग्रेस के दिग्गज  नेता इस मसले पर चुप्पी साधे हुए हैं।
पूर्णिया सीट को लेकर इंडी गठबंधन में एकता संदेह के घेरे में दिखायी दे रही है। इंडी  गठबंधन के सूत्रधार नीतीश कुमार के पहले पाला बदलने , गठबंधन के नेताओं द्वारा सनातन और रामचरितमानस आदि पर आपत्ति जनक बयान जारी करना, राजद प्रमुख लालू प्रसाद द्वारा प्रधानमंत्री मोदी पर की गयी व्यक्तिगत टिप्पणी, राहुल गांधी द्वारा धार्मिक शक्ति का विरोध करने संबंधी बयान और एनडीए द्वारा फिल्म अभिनेत्री कंगना को टिकट दिये जाने पर कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत द्वारा महिलाओं पर किया गया आपत्ति जनक पोस्ट, ये सारे प्रकरण इंडी गठबंधन की मुरझाती जड़ों में मट्ठा ही डाल  रहे हैं।
और अंत में  जब कांग्रेस बेगूसराय से कन्हैया कुमार को नहीं उतार पायी तो उसने पूर्णिया से पप्पू यादव को आगे कर दिया । अब लालू प्रसाद भी माथापच्ची कर रहे हैं कि मामले कैसे सुलझाया जाये। दूसरी ओर वाम दलों का सुर भी बदल रहा है।

Ravi sharma

Mar 24 2024, 17:31

कांग्रेस अन्य पार्टियों के लिए अछूत बनी संदर्भ: बिगड़ रही राजद - कांग्रेस की चुनावी केमिस्ट्री
कांग्रेस प्रमुख सोनिया गांधी और युवराज राहुल को अपनी पार्टी की कोई चिंता नहीं है। लगता है चुनाव से पहले ही कांग्रेस ने हथियार डाल दिये हैं। अगर यही स्थिति रही तो कांग्रेस की सीटों की संख्या और कम हो सकती है।
लोकसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान हो चुका है । कांग्रेस की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। आलम यह है कि उसके दिग्गज नेता तक चुनाव लड़ने से कतरा रहे हैं ।
खबरों के अनुसार कांग्रेस ने अपनी पहली लिस्ट में किसी मंत्री या विधायक को उम्मीदवार नहीं बनाया है । कांग्रेसी दिग्गज जानते हैं कि उनकी पार्टी की स्थिति 2019 से भी बुरी होने वाली है । 2019 के लोकसभा चुनाव में एम मल्लिकार्जुन खड़गे , वीरप्पा मोइली और मुनियप्पा समेत कई शीर्ष नेताओं को हार का सामना करना पड़ा था । वहीं 2024 में अयोध्या में भव्य और अलौकिक मंदिर में राम लला की प्राण प्रतिष्ठा के बाद उठी लहर भाजपा को 400 के पार ले जा सकती है । इसी कारण कांग्रेस के शीर्ष नेता चुनाव नहीं लड़ना चाह रहे।
कांग्रेस जब से अस्तित्व में आयी है तभी से  वह सेकुलरिज्म की राजनीति करती आयी है । इसमें हमेशा हिंदू समाज को तोड़ने वाले कदम उठाये जाते रहे हैं । राजद  प्रमुख लालू प्रसाद द्वारा अपनी दो बेटियों को चुनाव सिंबल बांटने से इंडी गठबंधन की चुनावी केमिस्ट्री बिगड़ने लगी है । कांग्रेस को सभी दल अछूत मानने लगे हैं । सभी दल कांग्रेस को कम से कम सीटें देने पर ही तैयार हो रहे हैं।  पश्चिम बंगाल में ममता एकला चल रही हैं, बिहार में लालू प्रसाद 6 सीटें ही देने को तैयार हैं मगर कांग्रेस 12 सीटें चाहती है । बिहार की सियासत हर दिन नयी करवट ले रही है।
और अंत में स्थितियां जिस तरह से करवट ले रही हैं उससे तो लगता है इंडी गठबंधन का भंग होना निश्चित है। ऐसे में सभी पार्टियां अलग-अलग चुनाव लड़ सकती हैं और इसका फायदा एनडीए को हो सकता है।

Ravi sharma

Mar 22 2024, 13:37

आने वाली पीढ़ियों का हमें रखना होगा ध्यान संदर्भ : छह बड़े शहरों में 25% तक कम हो रही पानी की सप्लाई
पृथ्वी पर जल के बिना जीवन की कल्पना असंभव है। ऐसे में जल के महत्व
और जल संरक्षण को लेकर जागरूकता फैलाने के लिए हर साल दुनिया भर में 22 मार्च को विश्व जल दिवस मनाया जाता है ।
पानी की बचत आज की सबसे महत्वपूर्ण आवश्यकता है। बढ़ती आबादी के परिणाम स्वरूप बढ़ते औद्योगीकरण के कारण शहरी मांग में वृद्धि हुई है और पानी की खपत बढ़ गयी है। वैश्विक जल संरक्षण के वास्तविक क्रियाकलापों को प्रोत्साहन देने के लिए विश्व जल दिवस को सदस्य राष्ट्रों सहित संयुक्त राष्ट्र द्वारा मनाया जाता है ।
आज के समय में जल संकट एक गंभीर समस्या बन गया है।  पानी की कमी, जल प्रदूषण, जलवायु प्रदूषण और अनियंत्रित जल उपयोग के कारण यह संकट बढ़ता ही जा रहा है।
पहली बार विश्व जल दिवस 1993 में मनाया गया था। पानी सभी जीवित प्राणियों के लिए आवश्यक है , लेकिन आज के समय में पानी की कमी और प्रदूषण एक गंभीर समस्या बन गयी है जो दुनिया भर के लोगों को प्रभावित कर रही है।  ऐसे में विश्व जल दिवस लोगों को इन समस्याओं के बारे में जागरूक करने और उन्हें जल संरक्षण के लिए काम करने के लिए प्रेरित करने का एक महत्वपूर्ण अवसर है ।
भारत सहित सारे विश्व  में जल संकट बढ़ता ही जा रहा है । संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट में 2050 तक भारत में पानी का संकट सबसे ज्यादा होने की आशंका व्यक्त की गयी है ।
और अंत में जल संकट दूर करने में निम्न कारक कारगर साबित हो सकते हैं :-
बारिश के पानी को इकट्ठा कर इसका उपयोग सिंचाई, घरेलू कार्य और अन्य कार्यों के लिए किया जा सकता है।
घरों और उद्योगों में लीकिंग पाइपों को ठीक रखें ताकि पानी की बर्बादी ना हो सके।
नहाते समय, बर्तन धोते समय और अन्य कार्यों के समय जितना हो सके पानी का उपयोग कम करें।
नदियों, झीलों और अन्य जल स्रोतों में कूड़ा- कचरा न डालें और उसे प्रदूषित न करें।
जल संरक्षण के बारे में अपने परिवार , दोस्तों और समुदाय के लोगों को शिक्षित करें।
जल है तो कल है।

Ravi sharma

Feb 11 2024, 09:27

लोकसभा के साथ ही विस चुनाव की आ रही आहट संदर्भ : कुछ घंटों में हट जायेगा परदा
राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद भी जान गये हैं कि उनके दोनों पुत्र राजनीति में ज्यादा आगे तक नहीं चल सकते। जिस प्रकार कांग्रेस की राजमाता सोनिया गांधी युवराज राहुल को लेकर परेशान हैं। वे भी अपने बेटे को पीएम बनते देखना चाहती हैं। वहीं राजद सुप्रीमो भी अपने बेटे को सीएम बनाना चाहते हैं।
इसलिए हो सकता है कि लालू प्रसाद अपनी पुत्रवधू यानी तेजस्वी की पत्नी रशेल उर्फ राजेश्वरी यादव उर्फ राजश्री को राजनीति में लॉन्च करना चाहते हों। इसलिए उन्होंने राजश्री के माध्यम से एक और चुनावी दांव खेला है। वे ऐन-केन-प्रकारेण सत्ता हासिल कर तेजस्वी यादव को सीएम बनाना चाहते हैं।
मगर लगता है कि राजद का समय अभी ठीक नहीं चल रहा है । कुछ दिन पहले लालू प्रसाद की पुत्री रोहिणी आचार्य के एक पोस्ट से तिलमिलाये नीतीश कुमार राजद का साथ छोड़कर एनडीए में शामिल हो गये और इंडिया गठबंधन खंड-खंड हो गया ।
अब लालू प्रसाद की पुत्रवधू ने 8 फरवरी को पोस्ट किया था कि नीतीश कुमार के 17 विधायक गायब हो गये हैं। इसके ठीक दो दिन बाद राजद के तीन विधायकों के लापता होने और कई के बैठक में नहीं पहुंचने की खबर से सियासी हलचल तेज हो गयी।
इसलिए तेजस्वी यादव ने सभी विधायकों को फ्लोर टेस्ट होने तक अपने आवास में रहने का इंतजाम किया है । क्योंकि तेजस्वी यादव को अपने विधायकों पर विश्वास नहीं है । कांग्रेस के विधायक जहां हैदराबाद की खुली हवा में चारमीनार पर चढ़ रहे हैं वहीं दूसरी ओर राजद विधायक ऊंची चहारदीवारी में कैद हैं।
जो हवा का रुख समझ रहे हैं, वह इस अवसर को अपने हाथ से जाने नहीं दे सकते। इसलिए फ्लोर टेस्ट में क्रॉस वोटिंग भी हो सकती है। बिहार विधानसभा के चुनाव में अभी करीब बीस महीने बाकी हैं । भोज और ट्रेनिंग के बहाने सभी पार्टियां अपनी-अपनी सेटिंग में लगी हैं। दिल्ली में नीतीश की सियासी तिकड़ी से मुलाकात का एक मायने यह भी निकल रहा है कि कहीं लोकसभा चुनाव के साथ ही बिहार विधानसभा चुनाव हों पर इसके लिए विधानसभा को भंग करना होगा। दूसरी ओर राजद और कांग्रेस ऐसा नहीं चाहते हैं।